आप जानते हैं अनाया के साथ क्या हुआ? नहीं जानते है तो जानिए और बोलिये
आप जानते हैं अनाया के साथ क्या हुआ? नहीं जानते है तो जानिए और बोलिये
अनाया सात साल की मासूम बच्ची। जिसकी जिंदगी बनारस के दो मुनाफाखोर निजी अस्पतालों के लापरवाही की भेट चढ गई। बीते 15 अक्टूबर की रात उसकी मौत हो गई। महमूरगंज स्थित ASG Eye ????️ hospital में एक छोटे से आपरेशन के लिए गई अनाया लाश बन गई। अनाया की मां आफरीन बताती है कि हमसे अस्पताल वाले बार-बार झूठ बोलते रहे की सब ठीक है और मेरी बेटी मर गई। वो बताती है कि हमसे कहा गया कि छोटा सा आपरेशन है लेकिन आपरेशन थियेटर में घंटों बीत गए तो हमें अनहोनी की शंका हुई। इसी बीच मैंने आपरेशन थियेटर में जाकर देखा तो मेरी बेटी अनाया स्ट्रेचर पर पड़ी हुई थी डॉक्टर तो छोड़िए उसके पास कोई नहीं था जिस डॉक्टर कार्तिकेय सिंह पर आपरेशन की जिम्मेदारी थी वो जा चुके थे, आपरेशन थियेटर में कोई डॉक्टर पारस थे जो लगातार अनाया की हालत पर हमसे झूठ बोलते रहे। हमसे कहा गया कि आपकी बेटी को थोड़ी सी दिक्कत है हम इसे दूसरे अस्पताल में ले जा रहे है। जरा सोचिए खुद को विश्वसनीयता का ब्रांड कहने वाले आंख के एक अस्पताल के पास खुद का कोई डॉक्टर नहीं है जो तत्काल बच्ची को देखता। अस्पताल के पास अपना कोई आईसीयू तक नहीं जहां बच्ची को रखा जाता। 15 अक्टूबर की वो रात जब एक मां अपनी बेटी को लेकर बेबस और परेशान थी उस मां से लगातार झूठ बोला गया दूसरे अस्पताल ले जाते समय मां को बच्ची के साथ एम्बुलेंस में नहीं बैठने दिया गया कहा गया कि आप पापुलर अस्पताल पहुंचे। परेशान मां जब पापुलर अस्पताल पहुंचती है तो बेटी वहां नहीं होती फोन करने पर किसी दूसरे अस्पताल पहुंचने को कहा जाता है वहां फिर वही कहानी दोहराई जाती है अंततः मां को पता चलता है कि अनाया को महमूरगंज गंज स्थित मैट केयर मैटरनिटी अस्पताल ले जाया गया है। वहां पहुंचने पर उनसे पहले बीस हजार रुपए जमा करवाया जाता है फिर अनाया को वेंटीलेटर पर डाल दिया जाता है। मां से कहा जाता है कि सब ठीक है इसके कुछ ही घंटे में उसकी मौत हो जाती है। एक बच्ची जो आपरेशन थियेटर में जाने से पहले हंसती मुस्कुराती है उसकी लाश घर वालों को सौंप कर चिकित्सकीय जिम्मेदारी की पूर्ति की जाती है।
अनाया की मौत की पूरी कहानी दरअसल मरीज को मुनाफा समझ कर उसकी जिंदगी से खेल कर उसे कफ़न देने वाली निजी अस्पतालों की कहानी है जो खुलेआम किसी की भी जिंदगी से खेल कर उसे बेजान लाश में तब्दील कर देती है। लेकिन उनपर कभी कोई सीधी कार्रवाई नहीं होती। अनाया की मौत स्वाभाविक मौत नहीं है अपने पैरों से चलकर आपरेशन के लिए अस्पताल पहुंचने वाली सात साल की मासूम अनाया लाश कैसे बन गई इस सवाल के जवाब में खामोशी है? ऐसे और न जाने कितने अनगिनत मामले होंगे जो कफ़न ओढ़े सो गये होंगे।अपनों को खोने की सिसकियां न जाने कहां गुम हो गई होगी।अनाया के मामले में भेलूपुर थाने में अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। अनाया की मां बार-बार दोनों अस्पतालों से सीसीटीवी फुटेज मांगती रही लेकिन सीसीटीवी फुटेज नहीं दिया गया।
बीते 23 अक्टूबर को वाराणसी के जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार ने एक स्वतंत्र चिकित्सकीय जांच समिति का गठन किया है। लेकिन सवाल वही खड़ा है कि चिकित्सा के नाम पर मरीजों से मोटी रकम लेकर उनके जान से खिलवाड़ करने वाले अस्पतालों पर कार्रवाई कौन करेगा?
कब तक कोई अनाया इनकी शिकार बनती रहेगी? इस पर सोचना और बोलना जरूरी है। नहीं तो अगला नंबर मेरा और आपका भी हो सकता है।
रिपोर्ट-भास्कर गुहा।
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